मतदान का दौर
मतदान का दौर हैं आया।
नेताओं ने हैं दौड़ लगाया।
सबने अपने- अपने ढंग से
हैं बढा दी चाल ।
कोई खरगोश की चाल चल रहा,
कोई कछुए की चाल।
कौन जीतेगा कौन हारेगा,
यह हैं बड़ा सवाल।
मैं सही हूँ ,मैं सही हूँ,
सबने ही दोहराया।
सब नेता ने एक जैसा,
ही राग गहराया ।
एक दूसरे को गलत,
सबने ही ठहराया।
कौन सही कौन गलत हैं,
इसका (जनता) तुम करना समाधान।
सही गलत का विश्लेषण कर,
तुम करना अपना मतदान।
(चुनाव) शतरंज के इस विषाद पर ,
सबने अपना दाँव लगाया ।
सब पार्टी के नेताओं ने
अपने प्यादों को बैठाया ।
कहीं पर हाथी, कहीं पर घोड़ा,
कही वजीर खड़ा हैं ।
सब पार्टी ने अपने – अपने
ढंग से चाल चला है।
कोई संकुनी का चाल चल रहा ,
कोई पांडव का चाल।
अब तुम्हें तय करना हैं जनता,
किसको हैं जीताना।
किसको आगे ले जाना हैं,
किस पर लगाम लगाना।
तुमकों ही हैं अब जनता
यह कमाल दिखलाना।
अपना विराट स्वरूप लेकर,
मत देने तुम जाना।
मतदान के इस दौर में
नेताओं ने (घोषणा-पत्र) जाल बिछाया है ।
अपने अपने ढंग से सबने
अपना (घोषणा) दाना फैलाया है।
इस दाने के लोभ में आकर ,
तुम नहीं फँस जाना ।
एक बार जो फँस गये तो,
फिर पाँच साल पछताना।
इसलिए तुम सोच समझकर,
मत देने को जाना।
तेरा एक – एक मत
मानों है ईट महल की।
जैसा ईट लगाओगे
महल वैसा ही बनेगा।
मतदान के इस दौर में
सारे नेता गण आएँगे ।
कल तक जिसने तुझको,
तेरे हाल पर छोड़ दिया था।
आज तेरा हाल पूछने
तेरे घर आएँगे।
तरह – तरह के वादों से
वह तुमको रिझायेंगे।
कई तरह के प्रलोभन,
वह तुमकों दे जाएँगें।
उनके इन मीठी-मीठी बातों
में न फँस जाना ।
लोभ भले कितना बड़ा हो,
पर तुम इसमें न आना।
चाहें तुमको कोई भी
कितना भी चाहें फँसाना,
मतदान पर मत देने तुम
सोच समझकर जाना।
मतदान के इस दौर में हर जगह
अफरा तफरी का हाल है ।
वोट साधने के लिए,
सब जगह हो रहा बवाल हैं ।
मेरी जनता, मेरी जनता
सब अभी कहते हैं ।
हुआ चुनाव खत्म फिर,
सब अपने पर ही रहते हैं।
इसलिए हे जनता अपना मत
समझ बूझ कर देने जाना।
यह सिर्फ तेरा मतदान नहीं हैं।
यह तेरा एग्जाम भी है।
जैसा तुम एग्जाम दोगे,
वैसा ही परिणाम होगा।
तेरे इस परिणाम पर ही
देश का निर्माण होगा।
इसीलिए इनकी बातों मे,
तुम न भटक जाना,
जो सही हो तुम उसको ही,
सत्ता में चुन कर लाना।
तेरी खुशियाँ तेरा भविष्य
इस मत पर ही टिका है।
देश का भी भविष्य
इस मत से ही जुड़ा हैं।
~अनामिका