मतदान एक त्यौहार (गीत)*
मतदान एक त्यौहार (गीत)
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लोकतंत्र में होता है मतदान एक त्यौहार
(1)
घर से निकलें वोट डालने नर-नारी सब जाएँ
जाति न मजहब के बहकावे में किंचित भी आएँ
सच्चरित्र ही चुनकर अपने वोटों से पहुंचाएँ
प्रत्याशी ईमानदार को विजयी सभी बनाएँ
मौका पाँच साल में मिलता सिर्फ एक ही बार
लोकतंत्र में होता है मतदान एक त्यौहार
(2)
सुनो विचारों में किसकी तुम पाते हो अच्छाई
सोचो किसमें नहीं स्वार्थ की दिखती है परछाई
ढोंगी क्षुद्र विचारों वाला करता नहीं भलाई
ढूंढ़ो जनता का सेवक वह जिसमें हो सच्चाई
पैसों का जो लालच दे उसको देना दुत्कार
लोकतंत्र में होता है मतदान एक त्यौहार
(3)
वह सरकार बनाओ जिसको सिर्फ राष्ट्र-हित प्यारा
जिसमें कभी न हो भारत का दोबारा बँटवारा
काशमीर से नव्वे-जैसे नहीं खदेड़े जाएँ
जीने का अधिकार बराबर भारतीय सब पाएँ
चलो बनाएँ देश-प्रेम का वोट एक हथियार
लोकतंत्र में होता है मतदान एक त्यौहार
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451