@@@ मतदाता तेरा भ्रम @@@
दुनिया वालो को दारू पिला के
एक दिन को मोटर में घुमा के
मटन चिकेन का स्वाद चखा के
फिर गंदगी का उनको कीड़ा बना के….
मतदान के दिन दूल्हा बना के
घर के पास का कूड़ा उठवा के
बुजुर्गो के हाथ पैर दबा के
सफ़ेद कपड़ों को साफ़ करा के……
सडको को चिकना बना के
खम्बो पर स्ट्रीट लाइट लगवा के
नालिओं की खूब सफाई करा के
गरीबो का खूब मजाक बना के……
गायब हो जायेंगे यह नेता गिरी करने वाले
कमांडो के बीच चले जायेंगे नेता गिरी करने वाले
तुम क्या चीज हो कहाँ से आये हो,क्या वजूद है
तेरा ओ मतदाता,
तुझ जैसे तो सदीओ से रोंदते आये हैं
हम तो दल बदलू हैं, जहाँ कम पड़ेंगे
वहीँ जाकर अपनी सरकार बनायेंगे
वाह रे नेता गिरी……….तेरा भी जवाब नहीं
जब तक नहीं बनता……तब तक भिखारी लगता है
जब बन जाता है……….भगवान् से बड़ा तून लगता है
न रहेगी यह काया, न रहेगी यह माया
काम करो तो इंसान बनो, हैवान बनने में क्या रखा है
गर इंसानियत को पहचान लिया तो भगवान् मेहर करता है
नहीं तो ऐसी जगह मौत देता है, जहाँ पानी भी कोसो दूर रहता है….
जय हिन्द
अजीत कुमार तलवार
मेरठ