मतगयंद सवैया
दीप वही तम जो हरता जुगनू जलता न जला तम पाये
प्यास हरे हर बूँद सुधा बसुधा हर पीर पिये मुसकाये
नीरज कीचड़ अंग लगे अपनी पर कोमलता न भुलाये
दीप बने न सुधा मनु है मनु तो मनु के मन पीर बड़ाये
अतुल पुण्ढीर
दीप वही तम जो हरता जुगनू जलता न जला तम पाये
प्यास हरे हर बूँद सुधा बसुधा हर पीर पिये मुसकाये
नीरज कीचड़ अंग लगे अपनी पर कोमलता न भुलाये
दीप बने न सुधा मनु है मनु तो मनु के मन पीर बड़ाये
अतुल पुण्ढीर