Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2020 · 2 min read

मटरू लाल जी का फलसफा

मटरू लालजी एक बहुत ही सच्चे, सीधे – साधे सरल ह्रदय के शराबी थे । शराब पीने के अलावा उनके अंदर और कोई ऐब नहीं था । वे किसी की भलाई या बुराई में भी नहीं लिप्त रहते थे । दिन-रात उन्हें सिर्फ अपनी शराब से मतलब था । जब कभी दिख जाते तो बस अपनी शराब की खुमारी मैं डूबी अधमुंदी पलकों को जरा सा ऊपर उठाकर अभिवादन में बस मुस्कुरा देते थे । चलते फिरते उनके हाथ-पांव कांपते रहते थे और एक लड़खड़ाती डगमग करती चाल से दूर से ही पहचान लिए जाते थे । शराब के अलावा ना तो कोई उनका परम मित्र था नाही कोई दुश्मन । नियमित रूप से शराब के सेवन के कारण उनका दफ्तर आना जाना बहुत ही अनियमित था , महीने भर में आधे दिन ही आप दफ्तर पहुंच पाते थे और आधे दिन गैरहाजिर रहने के कारण उन्हें महीने भर की आधी तनख्वाह ही मिल पाती थी जिसे वह पूरा का पूरा शराब पर खर्च कर देते थे । उनकी इस शराब से प्रीति जुड़ी होने के कारण उनकी पत्नी , बच्चे एवं परिवार के अन्य सदस्य उनसे नाता तोड़ अलग रहने लगे थे ।
एक बार उस शहर में जहरीली शराब का कांड हो गया , एक ही रात में करीब 400 लोग जहरीली शराब के कारण मर गए और हजारों अस्पतालों में भर्ती हो गए । शहर के सभी अखबारों की सुर्खियां इस कांड का हवाला देने से पट गईं । माहौल में ऐसा खतरा देखकर उनके दफ्तर में कार्यरत उनके सभी साथियों एवं सहयोगियों ने एक बैठक बुलाकर विचार किया कि उन्हें अपने सहयोगी मटरू लाल जी की जान बचाने के लिये अब उनको शराब पीने के लिए रोकना चाहिए । अतः वे सब इकट्ठा होकर मटरू लालजी के पास पहुंचे और उन्हें विगत जहरीली शराब के कांड का हवाला देते हुए उनको मौत से डराते हुए समझाया की देखिए अब आप शराब पीना बिल्कुल बंद कर दें ।
उन सभी साथियों की सलाह को ध्यानपूर्वक सुनते समझते हुए मटरू लाल जी ने कुछ ऐसा कहा कि उस पूरी भीड़ एवम साथ आये लोगों के सभी तर्क फीके पड़ गए । मटरू लाल जी ने उनमें से एक सज्जन जो उन्हें ज्यादा परोपकारी बन आत्मीयता से उनको समझाने में जुटे थे उन्हें संबोधित करते हुए कहा
‘ देखिए शुक्ला जी यह वह समय चल रहा है कि जिसने अपनी जिंदगी में कभी शराब ना पी हो वह आज जमकर पी ले , क्योंकि जितनी जहरीली शराब शहर में थी रातों-रात नालियों में बहा दी गई है , अब तो लगातार जगह जगह छापे पर छापे पढ़ रहे हैं और सभी दुकानों पर शुद्ध पेवर माल बिक रहा है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 3 Comments · 328 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
किसानों की दुर्दशा पर एक तेवरी-
कवि रमेशराज
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
'अशांत' शेखर
दर्द ! अपमान !अस्वीकृति !
दर्द ! अपमान !अस्वीकृति !
Jay Dewangan
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
वे वादे, जो दो दशक पुराने हैं
Mahender Singh
हे कान्हा
हे कान्हा
Mukesh Kumar Sonkar
भगवान परशुराम जी, हैं छठवें अवतार
भगवान परशुराम जी, हैं छठवें अवतार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गम और खुशी।
गम और खुशी।
Taj Mohammad
जिंदगी का सवेरा
जिंदगी का सवेरा
Dr. Man Mohan Krishna
हवन
हवन
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
तन को सुंदर ना कर मन को सुंदर कर ले 【Bhajan】
Khaimsingh Saini
Bahut fark h,
Bahut fark h,
Sakshi Tripathi
जीवन के बसंत
जीवन के बसंत
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
पूर्वार्थ
धर्म और संस्कृति
धर्म और संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
Mahendra Narayan
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सरोकार
सरोकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
इज़हार ए मोहब्बत
इज़हार ए मोहब्बत
Surinder blackpen
21वीं सदी और भारतीय युवा
21वीं सदी और भारतीय युवा
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
Shreedhar
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुरमाई अंखियाँ नशा बढ़ाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदलता साल
बदलता साल
डॉ. शिव लहरी
सिर्फ तुम्हारे खातिर
सिर्फ तुम्हारे खातिर
gurudeenverma198
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
हर किसी का एक मुकाम होता है,
हर किसी का एक मुकाम होता है,
Buddha Prakash
भूख
भूख
RAKESH RAKESH
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चंद्रयान 3 ‘आओ मिलकर जश्न मनाएं’
चंद्रयान 3 ‘आओ मिलकर जश्न मनाएं’
Author Dr. Neeru Mohan
हमारा देश
हमारा देश
Neeraj Agarwal
2337.पूर्णिका
2337.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...