-मजा आ रहा जीने में
बहुत गम है मेरे सीने में,
फिर भी मजा आ रहा है जीने में,
हंसकर जीने में क्या बुराई है
रोते देख हमको अपने दर्द में
करती दुनिया जग हंसाई है,
मैं नहीं खिलाफ किसी के,
अपनी-अपनी किस्मत सबने पाई है,
कोई गम से भरा है
कोई खुशियों की पोटली
लिए खड़ा है,
पर वक्त अब बदल गया है,
अपना रक्त भी परायापन दिखा रहा है,
यह देख दुनिया हंसती है,
अपने-अपने पर ही फब्तियां कसती हैं,
मुझ में है इंसानियत,
इनसे में अब बचता रहा हूं,
मैं मिट्टी के दीपक की भांति,
जलता रहता हूं,
पांवों में हैं जंजीरें,
फिर भी चलता रहता हूं,
गम से भरा है दिल, फिर भी,
मुस्कुराने का भी छोर नहीं,
बन जाओ मेरी तरह
देखो!
कितना मज़ा आएगा जग के टीले में।
– सीमा गुप्ता अलवर (राजस्थान