मज़ाक
उन्वान- मज़ाक
१)
देखो हंसी मज़ाक में ये क्या हो गया।
बाराती बनकर गये थे और ब्याह हो गया।
स्वच्छंद धवल कपोत सम थी अपनी जिंदगी,
इक पल भी नहीं निभी उनसे, जीवन स्याह हो गया।
२)
हम मज़ाक,ग़म मज़ाक
हर मनुष्य का जीवन मज़ाक
अतिश्योक्ति संस्कार और नैतिकता की,
अपना कर्म और धर्म मज़ाक।
न राम बचा न रहीम बचा श्रद्धा बनी भ्रम, मज़ाक।
नीलम शर्मा