Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Aug 2021 · 1 min read

मज़हबी फ़साद

मज़हब के नाम पर कत्लेआम कर रहे हो!
तुम क्या बहुत अच्छा यह काम कर रहे हो!!
लोगों को मार कर और घरों को फूंक कर
तुम अपने ही धर्म को बदनाम कर रहे हो!!

Language: Hindi
296 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बेख़बर
बेख़बर
Shyam Sundar Subramanian
आज कहानी कुछ और होती...
आज कहानी कुछ और होती...
NAVNEET SINGH
राहत भरी चाहत
राहत भरी चाहत
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Kumud Srivastava
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
Neelam Sharma
पाँच चौपाईयाँ
पाँच चौपाईयाँ
अरविन्द व्यास
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था
Monika Arora
तुमसे मिला बिना
तुमसे मिला बिना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
मेरे पापा
मेरे पापा
Pooja Singh
"कुम्भकरण "
Dr. Kishan tandon kranti
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
Lokesh Sharma
3277.*पूर्णिका*
3277.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
महाकाल हैं
महाकाल हैं
Ramji Tiwari
गाँधी जी की अंगूठी (काव्य)
गाँधी जी की अंगूठी (काव्य)
Ravi Prakash
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
साहित्य गौरव
गरीबी
गरीबी
Dr.sima
अपने दिल का हाल न कहना कैसा लगता है
अपने दिल का हाल न कहना कैसा लगता है
पूर्वार्थ
उड़ गया दिल वहां से
उड़ गया दिल वहां से
Shinde Poonam
मज़ा आता है न तुमको बार-बार मुझे सताने में,
मज़ा आता है न तुमको बार-बार मुझे सताने में,
Jyoti Roshni
*वो मेरी मांँ है*
*वो मेरी मांँ है*
Dushyant Kumar
मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी
मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी
कवि रमेशराज
- नायाब इश्क -
- नायाब इश्क -
bharat gehlot
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
है धरा पर पाप का हर अभिश्राप बाकी!
Bodhisatva kastooriya
*खड़ी हूँ अभी उसी की गली*
*खड़ी हूँ अभी उसी की गली*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
मर जाओगे आज
मर जाओगे आज
RAMESH SHARMA
समस्या विकट नहीं है लेकिन
समस्या विकट नहीं है लेकिन
Sonam Puneet Dubey
* हिन्दी को ही *
* हिन्दी को ही *
surenderpal vaidya
Loading...