मज़दूर
लाचार था
मजबूर था
क्योंकि मैं
मज़दूर था…
(१)
कभी मज़हब
के हाथों से
कभी सियासत
के ज़रिए
क़त्ल हुआ
बेरहमी से
हालांकि
बेकसूर था…
(२)
मेहनतकश
ग़ुलाम रहें
हरामखोर
हाकिम बनें
सदियों से
इस समाज में
ज़ारी यही
दस्तूर था…
(३)
फिर एक बड़ा
इंकलाब हुआ
और यह देश
आज़ाद हुआ
लेकिन कुछ
मक्कारों को
ये सब कहां
मंज़ूर था…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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