मज़दूर
मज़दूर
मैं गरीब ज़रूर पर लाचार नहीं,
मुझ पर इलज़ाम कई ,
चाहे वो बेबुनियाद सही l
कही चोर , कही लालची बना ,
और यही उदासी का कारण रहा l
असली नाम से किसी ने पुकारा नहीं,
क्योकि प्यार मुझसे किसी को गवारा नहीं l
लम्बू,छोटू, पतलू ,टपलू नाम रख ,
मेरा मज़ाक बनाया सही l
मैं मज़दूर सही पर बेचारा नहीं …
घर बैठने मुझे गवारा नहीं…..
मज़दूरी मेरा कारोबार बना ,
पढ़-लिखकर मैंने कुछ पाया नहीं l
खास मुकाम तक पढ़ाई ने मुझे पहुँचाया नहीं,
श्याद यही वजह रही कि मज़दूर मुझे बनाना पड़ा l
परिवार का बोझ उठाकर ,
गली से पेट भरना पड़ा l
मैं वही मज़दूर …
जिसे बिन बोले , सब सुनना पड़ा ……