मजहबे इस्लाम नही सिखाता।
मजहबे इस्लाम नही सिखाता काटना मारना।
जो रूह को सुकून दे वही होता है मज़हब सुहाना।।1।।
तुम तो बदनाम कर रहे हो किताब ए नूर को।
कुरान में नहीं लिखा है यूं एक दूसरे में बैर रखना।।2।।
तुम हो फिरका परस्त मुसलमांन के नाम पर।
नूर ए रूह का है ये मजहब बस प्यार है सिखाता।।3।।
कुरानी आयतों का जो यूं तुम देते हो हवाला।
गलत बयानी है तुम्हारी ना है कुरान का रिसाला।।4।।
इस्लाम की हदीसे शैतान को इंसा है बनाती।
नूर ए राहत से भर देता है कुरान जिस्म ये हमारा।।5।।
दुआओं से राहत ए शिफा देता है ये इस्लाम।
इसमें हर इंसान को मिल जाता है अपना सहारा।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ