//… मजहबी उन्माद…//
मानव मस्तिष्क के ,
एक कोने में,
जमा हुआ मवाद …!
सारे मानव समाज को ,
सड़ाता, गलाता घाव
मजहबी उन्माद….!
मरती माताएं ,
लुटती अबलाएं …!
होती कितनी ,
मर्माहत घटनाएं …!
यह कराता कत्लेआम ,
सरेराह ,सरेआम
दंगे और फसाद …!
उदाहरण के तौर पर ,
सामने इतिहास पड़ा
लो कर लो याद …!
मेरे देशवासियों ,
मेरी तुमसे विनम्र विनती ,
फिर ना आए ,
गुजरा हुआ कल …!
सबका अच्छा हो,
आने वाला पल …!
इसलिए अपने विचारों से ,
कर दो इसे आजाद …!
आओ एक हो सभी
मिटे मन से यह उन्माद …!
चिंता नेताम “मन”
डोंगरगांव(छत्तीसगढ़)