मजबूर चला
प्यार की दुनिया से होके मजबूर चला,
तेरे शहर से सनम दूर बहोत दूर चला,
जा रहा हूँ मैं सनम तुमसे इतनी दूर,
लौट के वापस न आये तेरे शहर में,
पा न सको हमको ऐसी मेरी मन्जिल,
मजबूर हूँ मैं बतला न सकूँ तुमको,
आंखों से मेरे अश्क गिरे तेरे याद में,
उन अश्को को गिरने न दूँ मैं पी लूंगा,
आह निकली होठो से तो मैं सी दूँगा,
वादा किया है न तोडूं तेरे बिन जी लूंगा,
खुश रह तू जहां रहे मेरी दुआ ले जा,
जुदा हुआ तेरी राहे अब मेरी राहो से,
गम के सिवा कुछ नही बस तेरी यादे,
मैं न आऊँ तेरी गली में करते है वादे,