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8 Oct 2021 · 1 min read

मजबूरी हालातों की –

झूठ और सच का फर्क बेबाक कहता हूँ,
पर हालातों से समझौता कर खामोश रहता हूँ
दुनिया के हर जुल्म को अब मुस्कराकर सहता हूँ
मजबूर हूँ, गैरों को भी अपना कहता हूँ।।

Language: Hindi
Tag: शेर
196 Views
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