मजबुरी
दुःख आपन केहू से कहिह मत
का राज़ बा ई बताइह मत…
कलयुग ह भारी पड़ जाई
ना काम अइहे बाबू भाई..
लोग कहल बात भी भूल जाईं
पाप केतनो होई धूल जाई…
मौका पाके मारिह तुहु चौका नाही त
नाउआ तोहार डूब जाई….
बस येही में भलाई बा
रहिह बच के बड़ा काई बा..
ई दुनिया बड़ा हरजाई बा
इहे बिनती आ दोहाई बा..