मजदूर…..
साहब….
मैं मजदूर हूं
मेहनतकश
खून पसीना
एक कर जीवन जीनेवाले
गर्म-सर्द मौसम सहने वाले
सृष्टि के निर्माण करने वाले
सुख के तिरस्कार कर
सुख देने वाले
फिर क्यों?
लोग निकृष्ट भावना से देखते हैं…
उपेक्षित..
शोषण के शिकार…
यातनाओं में जीवन…
आखिर क्यों ?
क्या जुल्म किया है…
स्वाभिमान से जीना
खून पसीना एक कर जीना
लोगों को सुख देना
क्या ?
ये सब जुल्म है
हमारे जीवन में भी झांक कर
देखिए….साहब
भावनाओं को बदलिए
वरना….
ढह जायेगा
दुनिया का विकास, सुख चैन….
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Chandra Prakash Patel
Okhar (Masturi)
Distt.-Bilaspur(C.G.)
7879118781