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18 Aug 2017 · 1 min read

मजदूरों के बच्चे

मजदूरों के बच्चे
पूरा दिन गगनचुंबी इमारतों में
धमाल करते हैं
शाम होते ही लौट आते हैं
झोपड़ी की जमीन पर।
रुंआसे से चेहरे वाले बच्चे
अजीब नजरों से देखते हैं दुनिया
जब चढ़ जाते हैं इमारत की
आसमां छूती छत पर।
इमारत की मंहगी दीवारों को
छूकर ये बच्चे खूब हंसते हैं।
इमारत के पूरा होने पर
नीचे ही जमीन पर रोक लिए जाते हैं ये बच्चे।
जब जीने लगती है इमारत
तब ये झोपड़ीनुमा बच्चे लाद दिए जाते हैं
भारवाहक वाहनों पर।
दूर तक नजरों में इमारत
साथ जाती है उन बच्चों के।
कुछ दिनों बाद
दोबारा इमारत वाले हो जाते हैं
ये मजदूरों के बच्चे —
उन्हें लगता है ऊपर से दुनिया
अच्छी लगती है —
क्योंकि वे जमीन को ही छत मानते हैं।

संदीप कुमार शर्मा

Language: Hindi
255 Views
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