मजदूरी बनाम मजबूरी
कर रहे आप यह दिहाड़ी मजदूरी ।
लेकिन न बने कभी आपकी मजबूरी ।
सीख लें अब एक से ज्यादा हुनर ।
आपत्ति काल से न रहें कभी बेखबर ।।
इस तरह न मुफ्त में जान गंवानी पड़े ।
हजारों मील पैदल यात्रा न करनी पड़े ।
बचाकर मजदूरी के कुछ पैसे जोड़िए ।
वक्त पर मुसीबत के समय को मोड़िए ।
भविष्य में बचाया वही पैसा काम आएगा ।
पेट काटकर जोड़ा पैसा ना व्यर्थ जाएगा ।
लॉकडाउन में बैठे न रहेंगे , हाथ पर हाथ धरे ।
बचाया पैसा , दूसरा हुनर वही आपका साथ धरे ।
उच्च वर्गीय लोग तो वायुयान से उड़ आएंगे ।
आराम से अपने-अपने घर को मुड़ जाएंगे ।
निम्न वर्गीय लोग रास्ते भर मुसीबतें उठाएंगे ।
ओम् कहे बार-बार अब आगे से पैसे बचाएंगे ।
ओमप्रकाश प्रकाश भारती ओम्