मच्छर
हाय कहाँ से आ गया,ये मच्छर शैतान।
मटक-मटक कर घूमता,अपना सीना तान।।
मच्छर है खच्चर बहुत, जड़ूँ उसे दो चाट।
मुझे अकेला देख कर, झट से लेता काट।।
जूँ-जूँ कर के रात भर,गाता है मल्हार।
शहनाई-सी चोच से,बहुत जताता प्यार।।
दिखता है छोटा मगर, बहुत बड़ा शैतान।
मलेरिया डेंगू के जनक, लेगें क्षण में जान।।
-लक्षमी सिंह
नई दिल्ली