मचला है मासूमियत पारा हो जाए…..
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रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122 2122
मचला है मासूमियत पारा हो जाए
जितना रब से मागो तुम्हारा हो जाए
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राह तुमने कल बिछाये तल्ख काँटे
फूल में तब्दील वो सारा हो जाए
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देख दाता सब के ऊपर है हिसाबी
कर इबादत जान दिल प्यारा हो जाए
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भेज दो तुम पत्र जिसको हाथ से लिख
बस मुहब्बत का वही हरकारा हो जाए
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ये धुँआ सा क्या उठा है दिल में तेरे
आग जलकर साफ अंगारा हो जाए
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याद जंगल भूल भटका तेरे खातिर
मन कहीं लगता ना बंजारा हो जाए
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राह पर काँटे जहाँ बिखराती हो तुम
बस वहीं मेरे कदम दोबारा हो जाए
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर
जोन 1 स्ट्रीट 3 दुर्ग छत्तीसगढ़