मगर हमको हँसाया है
कि जिसने सींच कर हमको,जहाँ में आज लाया है,
भले खाई ना खुद रोटी, मगर हमको खिलाया है।
उसे मैं भूल कर क्यूँ त्याग दूँ इक बस तेरे खातिर,
भले रोई हो रातों दिन, मगर हमको हँसाया है।।
✍️जटाशंकर”जटा”
कि जिसने सींच कर हमको,जहाँ में आज लाया है,
भले खाई ना खुद रोटी, मगर हमको खिलाया है।
उसे मैं भूल कर क्यूँ त्याग दूँ इक बस तेरे खातिर,
भले रोई हो रातों दिन, मगर हमको हँसाया है।।
✍️जटाशंकर”जटा”