मगर मासूम बच्चे हैं( मुक्तक )
मगर मासूम बच्चे हैं( मुक्तक )
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बसों को यह जलाते हैं ,मगर मासूम बच्चे हैं
पत्थर भर के लाते हैं , मगर मासूम बच्चे हैं
तरफदारी में इनकी थाने में नेताजी कहते हैं
तमंचा तो चलाते हैं , मगर मासूम बच्चे हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 61 5451