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18 Aug 2020 · 1 min read

“मगर कह कहाँ पाते हैं”

कहना तो बहोत कुछ चाहते हैं तुझसे
मगर कह कहाँ पाते हैं
सच तो है जीना है तेरे बग़ैर,
पर इक पल रह कहाँ पाते हैं
कोशिश तो हर बार होती है ,
तुझे भूल जाने की,
मगर एक पल भूल कहाँ पाते हैं
देखना चाहते हैं ,हर रात सपने
पर खुद को सुला कहाँ पाते हैं
तू अगर देखता तो समझ जाता,
तेरे बिना हम खुद में होकर भी,
खुद की हो कहाँ पाते हैं।
कहना तो बहोत कुछ चाहते हैं तुझसे,
मगर कह कहाँ पाते हैं।।

3 Likes · 2 Comments · 349 Views
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