मकड़जाल
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️
🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की किसी भी रिश्ते में आत्मीयता भरा प्रेम -रूहानी प्रेम -जज्बाती प्रेम -दर्द के रिश्ते का प्रेम किन्हीं भी हालातों -परिस्तिथियों में कभी नहीं बदल सकता और अगर वो प्रेम समय के उतार चढ़ाव की तरह बदलता है तो वो ना कल प्रेम था ना आज प्रेम है और ना ही कल प्रेम होगा -वो था -है और होगा केवल एक स्वार्थ भरा रिश्ता …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की क्या दुनिया है और क्या दुनिया वाले जो जीते जी हमेशा आपको ऊपर से नीचे खींचने की फिराक में लगे रहते हैं और मरने के बाद भी आपको कन्धों पर ले जाकर मिटटी में मिला देते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आग अपने ही लगाते हैं जीते जी भी और मरने के बाद भी ,फ़र्क़ इतना है की मरने की बाद वाली आग का अहसास आपके शरीर को नहीं रूह को होता है और जीते जी वाली आग की तपिश आपके शरीर और रूह दोनों को अंदर ही अंदर सुलगाती रहती है ,इस तरह की ना आप जी ही पाते हैं और ना ही मर पाते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की जीवन में अगर अपने मन मस्तिष्क ह्रदय और आत्मा को पवित्र रखना है तो बेशक शिकायत करके अपनी ग़लतफ़हमी या क्रोध को निकाल दें पर खामोश रह कर मन मस्तिष्क में ग़लतफ़हमी और क्रोध का मकड़जाल ना बनने दें क्यूंकि अगर इस जले ने आपके अंदर घर बना लिया तो आप खुद ही इसमें उलझ कर रह जाओगे …!
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱