मकसद
कुछ भी नहीं, एक आस तो है
कुछ कर गुजरने का मक्सद खास तो है,
यहीं मक्सद है मेरे जीवन की पूँजी
मेधावी पे होते जुल्मो का एहसास तो है।
होंगे आरक्षण मुक्त हम हिन्द में
मन के आंगन मे “सचिन”
एक विश्वास तो है।
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
कुछ भी नहीं, एक आस तो है
कुछ कर गुजरने का मक्सद खास तो है,
यहीं मक्सद है मेरे जीवन की पूँजी
मेधावी पे होते जुल्मो का एहसास तो है।
होंगे आरक्षण मुक्त हम हिन्द में
मन के आंगन मे “सचिन”
एक विश्वास तो है।
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”