“मकसद साकार किया” #100 शब्दों की कहानी#
यह तो सर्वविदित है, हम सबका इस दुनिया में आने का एक मकसद है, बस जीवंत रूप हर किसी के लिए पृथक होने के कारण उसकी सार्थकता हेतु प्रयासरत रहते हैं ।
ठीक उसी तरह सुषमा जब तक नौकरी करती थी, तब लगता कि पति को हाथभार लगाना, बच्चों की परवरिश के साथ सुशिक्षित व संस्कारवान बनाने तक ही उसका मकसद सीमित है ।
जीवन के परिवर्तनशील समय में विकट परिस्थितियों में नौकरी छोड़ने के बाद सुषमा ने घर की देखभाल के साथ शौक के अनुसार होस्टल के बच्चों को स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर खिलाते हुए अपना महत्वपूर्ण मकसद साकार किया।