मकर संक्रांति __ मनाएंगे जी मनाएंगे ___ गीत
सूर्य देव आज से तो उत्तरायण में जाएंगे।
स्नान दान कर पुण्य हम तो कमाएंगे ।।
मनाएंगे जी मनाएंगे यह पर्व हम मनाएंगे।
जिसको तो देखने को देवता भी आएंगे।।
(१)
कोई कहे पोंगल इसे कोई लोहड़ी पुकारे हैै।
खिचड़ी पका के कोई पतंग उड़ाते हैं।
पर्व है यह एक जिसके नाम अनेकों रे।
भिन्न भिन्न प्रांत में जाके इसे देखो रे।।
हरि की पौड़ी पे जाके डुबकी हम लगाएंगे।
मनाएंगे जी मनाएंगे यह पर्व हम मनाएंगे।।
जिसको तो देखने को देवता भी आएंगे।।
(२)
तिल गुड़ जब मिले मधुर मिठास आएं।
हिल मिल हम चले सबको ही रास आएं।
गाए गीत प्रीत के ही पर्व यह सिखाता है।
अपना तो सब से ही एक जैसा नाता है
एकता आ जाए सबमें अलख हम जगाएंगे।
मनाएंगे जी मनाएंगे यह पर्व हम मनाएंगे।।
जिसको तो देखने को देवता भी आएंगे।।
राजेश व्यास अनुनय
?? मकर सक्रांति महापर्व की __
सभी को हार्दिक शुभकामनाएं ??