मंज़िल
रात का काजल आँख में मल के
ले पुरवईया साथ चले
देख दूर वह वहाँ खड़ी है
सपने आँखों में कुछ, प्यार लिए ।
मेरी मंज़िल धुंधली धुंधली
दूर बहुत हीं दिखती है
पर जब भी देखें हम उनको
सिमट के दूरी बहुत बड़ी वह
मंज़िल संग हो जाती है ।।
…..अर्श
रात का काजल आँख में मल के
ले पुरवईया साथ चले
देख दूर वह वहाँ खड़ी है
सपने आँखों में कुछ, प्यार लिए ।
मेरी मंज़िल धुंधली धुंधली
दूर बहुत हीं दिखती है
पर जब भी देखें हम उनको
सिमट के दूरी बहुत बड़ी वह
मंज़िल संग हो जाती है ।।
…..अर्श