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12 May 2020 · 1 min read

मंज़िल

रफ्तार से गुजर जाती है ट्रेन
पटरी पर सोते इंसानी जिस्मों पर से
मंज़िल की ओर अपनी
गुम जाती है उनकी भूख और चीखें
पटरियों पर ट्रेन की तेज घड़घड़ाहट में
तब्दील हो जाते हैं जिंदा जिस्म
बेजान मांस के लोथड़े में एक पल में
बनकर रह जाते हैं एक ख़बर
हमेशा की तरह चौतरफ़ा मुंह खोले खड़ी
दुश्वारियां लेना चाहती हैं जिम्मा इसका
खामोश पड़ी हैं रोटियां पटरियों पर
इनको खाए बिना नींद नहीं आती
चले गए हैं वो मजदूर खाए बिना इन्हे
नींद की आगोश में हमेशा के लिए
खामोश हैं जिम्मेदार लोग
मरने वाले मजदूर हैं
पहुंच गए बेवक़्त आखिरी मंज़िल पर
बिना पूरा किए सफ़र ज़िंदगी का अपनी…..

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 241 Views

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