मंहगाई का रोना
न उम्र की बात होना है
न जन्म का शादी गौना है
यही महंगाई का रोना है
कहानी वर्तमान को जोना है
कठिनाई से जीवन मोती पोना है
रूपए-पैसे उपकरण महंगें खिलौना है
अभी है,कल खर्च ठनठन खोना है
मेहनत से पाई-
पाई जोड़ा है
खर्चों से सिर धुन रोया है
सिलेंडर, राशन-पानी मंहगा होया है
कपड़े-लत्ते,सोना-चांदी पर
सर्प कुंण्डलीमार सोया है
स्कूलफीस किताबों पर
मनमर्जी का सौदा है
बेरोज़गारी और भुखमरी से
बेचारा सड़कों पे भोगा है
कालाबाजारी रिश्वतखोरी से
जीत का परचम फहरा है
सोने की चिड़िया सा आर्यों के देश में
न जाने कैसा ये जादू-टोना है
– सीमा गुप्ता