मंशा
?✒️जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब किन्हीं भी रिश्तों में निभाने की मंशा ही शेष ना रहे तो फिर बेवजह -बेफिजूल अलगाव की राह तलाशी जाती है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की समय समय पर हर रिश्तों को भी रिफ्रेश और स्पष्ट बातें करके मोबाइल क्लीनर की तरह साफ़ कर लेना चाहिए जिससे की सही फैसले हों ना की बातों को मन में रख कर मन मस्तिष्क की स्टोरेज कैपेसिटी को कम करना चाहिए वर्ना सिवाय फासलों के कुछ नहीं होना …पर बातों को स्पष्ट करने के लिए दोनों का ईमानदार होना भी जरूरी है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब किसी चीज के छीन जाने या खो जाने का डर महसूस होने लगता है ,तभी उस चीज की कीमत का अहसास होता है ..ख़ास कर रिश्तों में …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की कई बार हम अपने अहंकार के मद में सामने वाले से बात करने या उसको समझने में इतनी देर कर देते हैं की रिश्तों की हालत उस चाबी की तरह हो जाती है जिसने एक लम्बे अरसे से ताले को छुआ ही नहीं …परिणाम ताले की तरह रिश्तों में जंग और फिर चाबी से नहीं खुल कर हथोड़े से तोडना ….
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?सुप्रभात ?
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?