मंद बयार
मंद बयार
मंद मंद बयार कानों में कुछ कह गई
ये तुम थे या तुम्हारी याद मुझे छू गई
शीतल सौरभ हवाओं की चादर लपेटे
यादों की भीनी ख़ुशबू से तन मन महके
चंचल हवा में उड़ते केश ज्यूँ तितलियाँ
बालों से खेल रही तेरी नटखट उंगलियाँ
पवन के झोंकों संग झूले मन का पालना
सन सनन सन हवा लोरी सी गयी गुनगुना
सहला गई मतवाली पवन कोमल कपोल
क्या संदेसा लायी इठलाती कुछ तो बोल
समीर यान पर बैठ पहुँचूँगी क्षितिज पार
मिले जहाँ धरा गगन वही करूँगी इन्तज़ार
रेखा