मंदिर
सुबह शाम मंदिर चले, लेने प्रभु का नाम।
जीवन होगा धन्य है, बन जायेंगे काम।।
थोड़ा – थोड़ा समय दे, करें ईश गुणगान।
मन की पीड़ा सब मिटे, बनी रहे मुस्कान।।
जब मंदिर में सिर झुके, मिटे सारे विकार।
खुले हृदय के बंद पट, सुखद लगे संसार।।
प्रभु के नित्य दर्शन से, मिले शांति अपार।
ज्ञान ध्यान के योग से, खुले धर्म के द्वार।।
जगत चले है धर्म से, बसे धर्म में देव।
सत्य धर्म के पक्ष में , रहती विजय सदैव।।