मंदिर-मस्जिद की राजनीति
वे जैसे ही
मंदिर-मस्जिद का
जुमला उछालते हैं,
शिक्षा, स्वास्थ्य,
सुरक्षा और
रोज़गार जैसे
सारे असली मुद्दे
बेमानी हो जाते हैं
और भोली जनता
उनकी सारी
नाकामियां भुलाकर
एक बार फिर
उन्हें सत्ता सौंप देती है!
Shekhar Chandra Mitra