मंदिर बनाने से क्या?
मंदिर पर मंदिर बनाने से क्या ?
ईश्वर तेरे और मेरे अंदर समाया है।
भक्ति का रुप नहीं मालूम, इसलिए तू भरमाया है।
ईश्वर को न पहचान सका, इसलिए ही ढोंग रचाया है।
इस दुनिया में हर मानव ने झूठ को,गले लगाया है।
सत्य में वास प्रभू का है,बस! इतनी-सी बात न समझ पाया है।
बड़े बड़े ग्रंथों से पढ़ने से अच्छा है,ढाई अक्षर की महिमा गाओ।
इस शब्द की शक्ति निराली है,जल पर पत्थर तैराओ।
विश्वास अडिग करलो, किसी एक के हो जाओ।
भ्रम के कुएं में पड़ कर , तुम चक्कर न लगाओ।