मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात्
मंत्र: सिद्ध गंधर्व यक्षाधैसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् ,सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ।।
( सिद्ध, गंधर्व ,यश ,असुर और अमरता प्राप्त देवों के द्वारा भी पूजित और सिद्धियो को प्रदान करने की शक्ति से युक्त माँ सिद्धिदात्री हमें भी सिद्धियां प्रदान करें।)
नवरात्रि के नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। माँ सिद्धिदात्री माँ दुर्गा का नौवां स्वरूप है। सिद्धि शब्द का अर्थ है “अलौकिक शक्ति” या ध्यान करने की क्षमता और धात्री का अर्थ है “पुरस्कार देने वाला” या देने वाली। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। माँ भगवती दुर्गा दैत्यों के अत्याचारों मां सिद्धिदात्री को नष्ट करने और मानव के कल्याण व धर्म की रक्षा करने के लिए नवरात्रि के नौवे दिन सिद्धिदात्री के रूप में उत्पन्न होती है। माँ सिद्धिदात्री को समृद्धि और संपूर्णता का प्रतीक माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने भी माता सिद्धि दात्री की कठोर तपस्या कर इसे सभी आठ सिद्धियां प्राप्त की थी। मान्यता है की माँ सिद्धि मंत्र की उत्पत्ति माँ कुष्मांडा ने की थी माँ सिद्धिदात्री ने ब्रह्मा, विष्णु ,महेश को जन्म दिया था। माँ सिद्धिदातत्री अपने भक्तों को बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती हैं। माँ सिद्धिदात्री सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूरा करती है इनकी आराधना से ज्ञान,बुद्धि ,एश्वर्य इत्यादि सभी सुख सुविधाओं की भी प्राप्ति होती है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं। और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सिद्धियो की प्राप्ति के लिए देव, गंधर्व ऋषि ,असुर सभी इनकी पूजा करते हैं। इस दिन शास्त्रीय विधि विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियौ की प्राप्ति होती है। माँ की पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होता है। माँ को सफेद रंग प्रिय है इसलिए इन्हें कुमकुम और रोली अर्पित करनी चाहिए। सिंदूर, अक्षत ,फूल ,माला, फल ,मिठाई इत्यादि चढ़ाने चाहिए। माँ को तिल का भोग लगाए और कमल का फूल अर्पित करें। नौ कन्याओं को श्रृंगार सामग्री दें तथा माँ के सामने एक दीप जलाकर रखें और हाथ में पुष्प लेकर देवी का ध्यान करें।
हरमिंदर कौर
अमरोहा (उत्तर प्रदेश)