मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
अक्षमालाकमण्डलूभ ।
देवी प्रसीदतु मयि ,ब्रह्मचरिण्यनुत्तमा ।।
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमंडल ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के रूप में ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है: तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ :तप का आचरण करने वाली।
ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पानी के लिए कठोर तपस्या की थी और इसी वजह से उनका नाम प्रचारिणी पड़ गया। मां ब्रह्मचारिणी को तपश्र्चारिणी , अर्पणा और उमा के नाम से भी जाना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी को सरल, सौम्य और शांत माना जाता है। ब्रहाचारिणी के मंत्र का जाप करने से मनुष्य में तप ,वैराग्य, सदाचार ,संयम की वृद्धि होती है । विद्यार्थियों के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा बहुत ही फलदायी मानी जाती है।मां ब्रह्मचारिणी प्रेम, निष्ठा, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी को पीला और सफेद रंग पसंद है । आप अपने घर के मंदिर को गेंदे के फूल से सजा सकते हैं। पीले, सफेद रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करने से मां ब्रह्माणी शीघ्र प्रसन्न होती है। हिंदू धर्म में पीले रंग को शिक्षा और ज्ञान का रंग माना गया है । मां ब्रहाचारिणी का पसंदीदा भोग चीनी और मिश्री है। इसलिए मां को भोग में चीनी ,मिश्री और पंचामृत का भोग जरूर लगाए। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अति प्रिय है । देवी ब्रहाचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराये अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम ,सिंदूर अर्पित करें । देवी को सफेद एवं सुगंधित फूल चढ़ाएं इसके अलावा कमल का फूल भी देवी को चढ़ाए और मन से प्रार्थना करें।
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी)