– मंडोर प्रधान वीर शिरोमणी राव हेमा जी गहलोत –
– मंडोर प्रधान वीर शिरोमणी राव हेमा जी गहलोत –
कुचेरा (नागौर)में जन्मे राव पदमजी गहलोत व गवरी देवी के लाल,
प्रेमसी सोलंकी के दोहित्रे पार्वती देवड़ा के भरतार,
युवा अवस्था में मां गवरी के साथ हुए ऐतिहासिक घटनाक्रम के कारण,
मंडोर आगमन कर जाए,
वीरता ,साहस,बहादुरी से प्रभावित होकर बालेसर के इंदा परिहारो से प्रधान की पदवी पाए,
प्रधान नियुक्ति उपरांत राव हेमा सहपरिवार , इष्टदेवता काला गौरा भेरूजी संग कुलदेवी बाण माताजी को ले आए,
मंडोर में कुलदेवी इष्ट देवता की मूर्ति प्रतिस्थापित कर जाए,
वो कालांतर (वर्तमान)में मंडोर काला गौरा भैरव के नाम से विख्यात हो जाए,
मंडोर निवास के दौरान बेरे (कुएं)का निर्माण करवाए,
जो कालांतर में भैरव बावड़ी कहलाए,
प्रधानी के दौर में मंडोर दुर्ग पर हकीम खां ऐबक शासक किसानों पर अत्याचार कर जाए,
किसानों को आतातायी पीड़ित करे जब लगान से तब,
इंद्रा परिहारो के मुख्या उगमसी की मदद से हेमा गहलोत तुर्क सैनिकों व ऐबक खां को मार गिराए,
स्वतंत्रा संगाम में अहम भूमिका व उनकी सलाह इंद्रा परिहारो के मुख्य उगमसी अपनी पौत्री का विवाह राव चुंडा राठौड़ से कराए,
विवाह संपन्न कर पौत्री का राव चुंडा को मंडोर दहेज में दे जाए,
मंडोर में राव हेमा गहलोत राव चुंडा का राजतिलक कर जाए,
अपनी विजय को चिर स्थायी रखने को,
राव महोत्सव कराए,
आज भी उनके वंशज के द्वारा वर्ष में एक बार होली के पावन अवसर पर रावजी की गैर निकाली जाए,
दाह संस्कार हुआ मंडोर में वो स्थान जग भोमियाजी का थान कहाए,
धन्य हुई कलम भरत गहलोत की जो,
मंडोर प्रधान वीर शिरोमणी राव हेमाजी गहलोत पर लिख पाए,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –