Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Sep 2024 · 5 min read

*मंडलीय गजेटियर में रामपुर के शीर्ष व्यक्तित्वों का व

मंडलीय गजेटियर में रामपुर के शीर्ष व्यक्तित्वों का विवरण
________________________
समीक्षा पुस्तक: मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर (खंड 2), वर्ष 2024
———————————–
रामपुर के उल्लेखनीय प्रमुख व्यक्तित्वों की प्रस्तुति हेतु कुछ अंश ‘रामपुर गजेटियर 1975’ से लिया गया है। इसमें 18वीं और 19 वीं शताब्दी के कुछ हिंदी तथा अधिकांशतः उर्दू भाषा के कवियों का उल्लेख किया गया है। उर्दू कवि शाद आरफी का इस कोष्ठक में उल्लेख है, जिनकी मृत्यु बीसवीं शताब्दी के वर्ष 1964 ईस्वी में हुई थी। शाद आरफी की कृतियों में इंतखाब-ए- शाद आरफी और कुल्लियात-ए- शाद आरफी का उल्लेख मिलता है।

मुरादाबाद मंडलीय गजेटियर ‘रामपुर गजेटियर 1975’ से आगे की यात्रा है। इसमें नई खोज है। व्यक्तित्वों को देखने और परखने की नई कसौटी है। नए सिरे से उन पर काम किया गया है। एक दर्जन से अधिक व्यक्तित्वों के जीवन-परिचय को जिन संदर्भों के आधार पर प्रस्तुति दी गई है, उससे शोध की गहराई का अनुमान हो जाता है।

अहमद जान थिरकवा का जन्म 1891 में वैसे तो मुरादाबाद में हुआ, लेकिन वह 1936 में नवाब रामपुर द्वारा दरबारी संगीतज्ञ बनाए गए थे। हमेशा रामपुरी टोपी उन्होंने पहनी। तबले पर एकल(सोलो) प्रस्तुति के लिए उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई। संगत भी दी। पद्मभूषण मिला। उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देना कितना समय-साध्य कार्य रहा होगा, यह संदर्भ को पढ़कर हम समझ सकते हैं; जिसमें लिखा है कि विभिन्न संगीतज्ञों द्वारा उस्ताद अहमद जान थिरकवा की स्मृति में की गई बातचीत का वीडियो प्रयोग में लाया गया। यूट्यूब चैनल का भी जानकारी एकत्र करने में प्रयोग हुआ। तात्पर्य यह है कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त विशद जानकारी के आधार पर गजेटियर उस्ताद अहमद जान थिरकवा की संक्षिप्त संगीत-साधना को पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत कर पाया।

27 अप्रैल 1912 को सहारनपुर में जन्मी जोहरा सहगल के बारे में गजेटियर ने सर्वथा नवीन प्रस्तुति दी है। इसका संदर्भ उनके अनेक इंटरव्यू भी रहे हैं। जोहरा सहगल ने फिल्मों में एक्टर और डांस-डायरेक्टर के तौर पर काम किया था। इससे पहले पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर में चौदह साल तक सक्रिय रहीं । आठ नाटकों के दो हजार शो किए। रामपुर रियासत के शाही परिवार और उच्च रियासती अधिकारियों से उनकी रिश्तेदारियॉं थीं। गजेटियर का विस्तृत लेख जोहरा सहगल का संपूर्ण चित्र खींचने में समर्थ है।

पंडित अयोध्या प्रसाद पखावजी को रामपुर का बच्चा-बच्चा जानता है। छोटा कद, गहरा सॉंवला रंग, दुबला-पतला शरीर, विनम्रता की प्रतिमूर्ति पंडित अयोध्या प्रसाद पखावजी के उल्लेख के बिना मंडलीय गजेटियर शायद ही पूर्ण होता। आप आचार्य बृहस्पति के गुरु थे। गजेटियर ने बताया है कि आप पखावज पर सोलो(एकल) वादन भी करते थे और संगत में भी बजाते थे। जन्म 1881 में तथा निधन 20 दिसंबर 1977 को हुआ।

अभिनेता प्राण 12 जनवरी 1920 को पुरानी दिल्ली में जन्मे थे। 370 से अधिक फिल्मों में काम किया। रामपुर से अभिनेता प्राण का संबंध इस नाते है कि आपने रामपुर के रजा हाई स्कूल (जो अब रजा इंटर कॉलेज कहलाता है) से मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। कोसी नदी पर 1932 में जिस लालपुर पुल का उद्घाटन हुआ था, उसका निर्माण कार्य प्राण के पिताजी ने ही किया था। वह सड़क और पुल निर्माण के विशेषज्ञ थे और सरकारी ठेकेदार थे। उनकी जीवनी के साथ-साथ लालपुर पुल के संबंध में अलग से जानकारी लेकर गजेटियर ने यह लेख लिखा है।

मौलाना मोहम्मद अली जौहर के साथ-साथ उनकी पत्नी अमजदी बेगम, भाई मौलाना शौकत अली तथा माता बी अम्मा के जीवनी-लेख भी गजेटियर ने दिए हैं।
संदर्भ हेतु लाहौर अधिवेशन के लिए पुस्तक, स्टोरी ऑफ पाकिस्तान वेबसाइट, रेख्ता वेबसाइट, मुस्लिम लीग की स्थापना के लिए पुस्तक, मौलाना मोहम्मद अली की आत्मकथा आदि का उपयोग हुआ है।

गजेटियर ने मिर्जा गालिब को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इसका कारण रामपुर से उनका गहरा संबंध था। रामपुर रियासत के शासकों ने गजेटियर के अनुसार जुलाई 1859 से 1869 तक मिर्ज़ा ग़ालिब को ₹100 प्रति माह की धनराशि भेजी। गजेटियर के शब्दों में: “गालिब वस्तुतः रामपुर में उपस्थित नहीं रहते हुए भी रामपुर रियासत के दरबारी कवि थे।”
उन्होंने नवाबों को 340 पत्र लिखे। 134 उपलब्ध हैं। वह कवि के रूप में रामपुर के नवाबों के शिक्षक रहे। संदर्भ से पता चलता है कि तराना खान से प्राप्त सामग्री को तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त सामग्री को गजेटियर ने सारगर्भित रूप से उपयोग में लाया है और प्रमाणिकता से प्रस्तुत किया है।

मेजर अब्दुल राफे खान और साहबजादा यूनुस खान के नाम पर रामपुर में गॉंधी समाधि के दो द्वारों के नामकरण हुए हैं। गजेटियर ने इन दोनों व्यक्तित्वों को अपने कलेवर में शामिल किया है। मेजर अब्दुल राफे खान 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के वीरगति प्राप्त योद्धा थे। मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित हुए।
साहबजादा यूनुस खान का संबंध रामपुर के शाही परिवार से था। यूनुस खान और उनके भाई याकूब खान ने 1948 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आमने-सामने खड़े होकर युद्ध लड़ा था। बाद में याकूब खान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने। यूनुस खान 1969 में कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सरल भाषा में विस्तृत कथाक्रम को गजेटियर ने पाठकों के लिए वर्णित किया है। संदर्भ से पता चलता है कि लेख तैयार करने में नवाब काजिम अली खान (नावेद मियॉं), नफीस सिद्दीकी, यूनुस खान के पुत्र इरफान खान तथा संजय निरूपम (पूर्व राज्यसभा सांसद) से विचार-विमर्श भी किया गया। यह संदर्भ लेख तैयार करने में गजेटियर द्वारा किए गए भारी परिश्रम को दर्शाता है।

आकाशवाणी में चीफ एडवाइजर रहे आचार्य बृहस्पति को कौन नहीं जानता। एक लेख उनके संबंध में भी गजेटियर ने दिया है। इसके लिए आचार्य जी की पुस्तक ‘संगीत चिंतामणि’ में लेखक-विवरण तथा वाणी प्रकाशन वेबसाइट आदि का उपयोग करते हुए मात्र सात पंक्तियों में गागर में सागर भरा है।

जावेद सिद्दीकी ने पचास से अधिक फिल्मों के लिए कहानी, पटकथा, संवाद आदि के रूप में लेखन कार्य किया है। 13 जनवरी 1942 को रामपुर में जन्मे। रामपुर में ही उर्दू साहित्य की शिक्षा प्राप्त की। आपके पिता और पितामह का रजा लाइब्रेरी से निकट संबंध रहा। आपके संबंध में आलेख तैयार करने में जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल वेबसाइट तथा सिनेमाजी वेबसाइट आदि का संदर्भ के रूप में प्रयोग हुआ है।

इन्हीं वेबसाइटों की सहायता से हामिद अली मुराद नामक सुप्रसिद्ध चरित्र अभिनेता का संक्षिप्त विवरण गजेटियर में दर्ज है। अनेक फिल्मों में आपने अभिनय किया। 24 सितंबर 1911 को रामपुर में जन्म हुआ। मृत्यु 24 अप्रैल 1997 ई को हुई।

“कला-संस्कृति” शीर्षक से संगीत के क्षेत्र में ‘रामपुर-सेनिया घराना’ तथा ‘रामपुर-सहसवान घराना’ उप-शीर्षक देकर दो पृथक लेख गजेटियर में दिए गए हैं। इसमें 19वीं तथा 20वीं शताब्दी में रामपुर में संगीतकारों को राज्याश्रय देने का उल्लेख है। रामपुर-सहसवान घराने के पद्मभूषण उस्ताद मुश्ताक हुसैन खान (1878 – 1964) का संबंध गजेटियर के अनुसार रामपुर दरबार से रहा।

19वीं और 20वीं शताब्दी के रामपुर के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के संबंध में प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध करा कर गजेटियर ने भविष्य के शोधकर्ताओं का काम काफी हद तक सरल कर दिया है।
—————————————-
समीक्षक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

64 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
सैनिक
सैनिक
Dr.Pratibha Prakash
*शिक्षक हमें पढ़ाता है*
*शिक्षक हमें पढ़ाता है*
Dushyant Kumar
चली ⛈️सावन की डोर➰
चली ⛈️सावन की डोर➰
डॉ० रोहित कौशिक
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जीवन पथ पर
जीवन पथ पर
surenderpal vaidya
फरेबी इंसान
फरेबी इंसान
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सांसों का साज
सांसों का साज
Akash RC Sharma
सनातन धर्म के पुनरुत्थान और आस्था का जन सैलाब
सनातन धर्म के पुनरुत्थान और आस्था का जन सैलाब
Sudhir srivastava
ना धर्म पर ना जात पर,
ना धर्म पर ना जात पर,
Gouri tiwari
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चमचा चमचा ही होता है.......
चमचा चमचा ही होता है.......
SATPAL CHAUHAN
"तेरी नजरें"
Dr. Kishan tandon kranti
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
#आभार- 6 लाख व्यूज़ के लिए।
*प्रणय*
आइए मेरे हृदय में
आइए मेरे हृदय में
indu parashar
पृथ्वी
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यह तो सब नसीब की बात है ..
यह तो सब नसीब की बात है ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
दोहा ग़ज़ल
दोहा ग़ज़ल
Mahendra Narayan
मेरी जिंदगी, मेरी आरज़ू, मेरा जहां हो तुम,
मेरी जिंदगी, मेरी आरज़ू, मेरा जहां हो तुम,
Jyoti Roshni
20) दिल
20) दिल
नेहा शर्मा 'नेह'
दर्द आंखों से
दर्द आंखों से
Dr fauzia Naseem shad
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
🍁तेरे मेरे सन्देश- 9🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जाने कैसे आँख की,
जाने कैसे आँख की,
sushil sarna
National Energy Conservation Day
National Energy Conservation Day
Tushar Jagawat
हिंदी दिवस विशेष
हिंदी दिवस विशेष
Shubham Anand Manmeet
दिल ये इज़हार कहां करता है
दिल ये इज़हार कहां करता है
Surinder blackpen
हमारा सफ़र
हमारा सफ़र
Manju sagar
अब मुझे यूं ही चलते जाना है: गज़ल
अब मुझे यूं ही चलते जाना है: गज़ल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...