मंजिल
मंजिल मिलनी तो निश्चित है,
शर्त ये है तू बढ़ता जा,
कितना भी कोई रोके तुझको,
सफलता की सीढ़ी चढ़ता जा,
व्यर्थ न हो प्रयत्न कभी ,
इस बात से न अनजान तू बन,
रच दे इक इतिहास नया,
इस विश्व में इक पहचान तू बन,
कष्ट के बाद ही सुख है मिलता,
जीवन का यही सिद्धांत है,
ये अंत नहीं है जीवन का
हर सुबह नयी शुरुआत है।
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® सर्वाधिकार सुरक्षित
® विनय पांडेय