Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Sep 2024 · 1 min read

मंजिल तक पहुँचाना प्रिये

#शीर्षक:-मंजिल तक पहुँचाना प्रिये ।

दलदली खाई में सुबह गिरती,
शाम तक निकलना पड़ता है,
घर – कविता अपनी सुरक्षित
प्रतिदिन लिखना पड़ता है।

परिवार छोड़ ठिकाना कहाँ?
लिखने का कोई बहाना नहीं,
रस-छंद-अलंकार सुशोभित,
भावना छोड़कर जाना नहीं ।

ज्ञान भण्डार शून्यकाल है,
समस्या का निराकरण करो,
रास्ते मंजिल तक पहुंचें कैसे,
प्रेम भाषा का व्याकरण करो।

है अनुभव-सागर में नहाना,
आश्वस्त कर लगाना हिये,
साधिका हूँ करती तेरी साधना,
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये ।

प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
6 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रामचंद्र झल्ला
रामचंद्र झल्ला
Shashi Mahajan
🙅लघुकथा/दम्भ🙅
🙅लघुकथा/दम्भ🙅
*प्रणय प्रभात*
जिंदगी पेड़ जैसी है
जिंदगी पेड़ जैसी है
Surinder blackpen
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
Ravi Prakash
लिख दूं
लिख दूं
Vivek saswat Shukla
दर्द देह व्यापार का
दर्द देह व्यापार का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मैं सोच रही थी...!!
मैं सोच रही थी...!!
Rachana
"फितरत"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रीत हमारी हो
प्रीत हमारी हो
singh kunwar sarvendra vikram
कल मैं सफरर था, अभी तो मैं सफर में हूं।
कल मैं सफरर था, अभी तो मैं सफर में हूं।
Sanjay ' शून्य'
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सफलता
सफलता
Raju Gajbhiye
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अधखिला फूल निहार रहा है
अधखिला फूल निहार रहा है
VINOD CHAUHAN
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
Dr. Man Mohan Krishna
बेरोजगार लड़के
बेरोजगार लड़के
पूर्वार्थ
जो तू नहीं है
जो तू नहीं है
हिमांशु Kulshrestha
राष्ट्रीय किसान दिवस
राष्ट्रीय किसान दिवस
Akash Yadav
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
मन तो मन है
मन तो मन है
Pratibha Pandey
बनारस की ढलती शाम,
बनारस की ढलती शाम,
Sahil Ahmad
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
Rajesh vyas
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
मैंने देखा है मेरी मां को रात भर रोते ।
Phool gufran
क्या आसमां और क्या जमीं है,
क्या आसमां और क्या जमीं है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
काश! हमारा भी कोई अदद मीत होता ।
काश! हमारा भी कोई अदद मीत होता ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
सिंदूर 🌹
सिंदूर 🌹
Ranjeet kumar patre
बिखरना
बिखरना
Dr.sima
2876.*पूर्णिका*
2876.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...