मंजिल की तलाश
मंजिल की गर तलाश है साथियों ,
रुको मत ! बस कदम बढाते चलो ।
मगर पथ पर गिरे असहायों को ,
उठाकर अपने साथ ले कर चलो ।
माना की राहें तुम्हारी कांटो से भरी ,
पगडण्डीयां है घने तिमिर से भरी ,
होंसले कर बुलंद निराशाओं में भी ,
आशाओं का दीप जलाते चलो ।
दिल में हो लगन यदि सच्ची ,
तो पत्थर भी पिघल जाते हैं।
हो बुलंद हिम्मत इंसान की ,
तो तारे ज़मीं पर उतर आते हैं।
आत्म-विश्वास की धार को तेज कर के चलो ।
कौन सी ऐसी चीज़ है दुनिया में दुर्लभ ,
इंसान अगर ठान ले तो सब-कुछ है सुलभ।
सिकंदर ने तो जीता था हिंसा से जहां को .
तुम भी प्रेम से जीत सकते हो जहां को ।
जोत से जोत नेह की दिलों में जलाते चलो।
वो जवानी जवानी नहीं जो देश पर ना मिटे,
इसकी आन की खातिर कोई सर ना कटे ।
जवानी तो वोह है जो जान कुर्बान करे,
इसके सदके हर हसरत औ अरमान करे।
मिटाकर खुदी को देश की शान बढाते चलो ।
देश की खुशिया व् समृद्धि है दौलत हमारी ,
इसकी तरक्की में ही तरक्की है हमारी ,
इसके नाम को ,आन को शिखर पर पहुंचाना।
सही मायेने में मंजिल यही है हमारी ।
अपने वतन को ही अपनी जिंदगी मानते चलो।