मंजिल की धुन
मंजिल की धुन
समझ नहीं आ रहा रास्ता जिंदगी का,
लोग समझते समझते,
चल रहे हैं बस अनजान रास्तों पर यूं ही,
चप्पल घिसते घिसते।।
मंजिल की धुन किधर ले जा रही,
पल निकल रहे सोचते सोचते,
सफ़र में गज़ब का तजुर्बा मिला,
हसरतों को गुनगुनाते गुनगुनाते।।
सभी रंग ढंग का असर पड़ा,
हिसाब से जिंदगी जीते जीते,
महंगे से महंगा शौक पाला,
जिंदगानी बाहर खोजते खोजते।।
शतरंज में वो चालाक निकला,
मोहरे बिछाते बिछाते,
कर गया तबीयत हरी,
सबक सिखाते सिखाते।।
#seematuhaina