“मंजिल का पता”
अब वो महफ़िल नहीं,वो यार नहीं है।
??किसी के पास, सच्चा प्यार नहीं है।
ढूंढते हैं लोग यहां, मंजिल का पता।
??पर अब वो रास्ता, दर और दीवार नहीं है।
अब वो महफ़िल नहीं,वो यार नहीं है।
??किसी के पास, सच्चा प्यार नहीं है।
ढूंढते हैं लोग यहां, मंजिल का पता।
??पर अब वो रास्ता, दर और दीवार नहीं है।