मंजिलें भी मिलेगी
मंजिलें भी मिलेगी अपने कदम बढ़ाता चल।
हाथों को खोल हवा में ,अपने पंख उड़ाता चल ।।
छोड़कर परेशानियों को तकलीफों से नजर मिलाता चल ।
कामयाबी के रास्तों पर तू सफलता के गीत गाता चल ।।
रोते को हंसाते ,हंसते को गुनगुनाते राग जगाता चल ।
अपने अंदर की प्रेरणा को लोगों तक फैलाता चल ।।
मंजिलें भी मिलेगी अपने कदम बढ़ाता है चल ।
हार जीत के खेलों में तू मुस्काता चल।।
साथियों को गले लगा के सही रहा बतलाता चल।
हर चिंगारी को तू अपनी आग बनाता चल।।
हृदय रख इतना निर्मल की हर प्यासे की प्यास बुझाता चल ।
ज्ञान के दीपक में थोड़ा तेल मिलाता चल।।
मंजिलें भी मिलेगी अपने कदम बढ़ाता चल।
मंजिलें भी मिलेगी अपने कदम बढ़ाता चल।।