Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2023 · 1 min read

*मंज़िल पथिक और माध्यम*

अहले सुबह उठ कर चले गए थे जो,
दरख्तों पर लौट आते हैं परिंदे शाम को,
आसमान उतर आयेगा अपने आंगन की आस में,
हम थे जो घोंसलों से उड़े ही नहीं।
मुट्ठी में लहरों की गर्दनें भींच लेते,
वो उफान जवानी का कि सागर भी सोख लेते,
हम बासिंदे हैं ठहरे पानी के और समंदर की बात करते हैं,
यहां कुएं में लहरें कभी उठी ही नहीं।
कई राहगीर गुजरे इसी रास्ते से,
राह तो वहीं पड़ी है,
क्या वास्ता इसे मंजिलों से।
कई शहर रोशन किए हमने भी,
कई घर के टिम टिम बल्ब हैं जलाए।
अंधेरे उजाड़ बियाबान में
बिजली के खंबे बांहे फैलाए।
मंजिल नहीं हूं,
ना ही पथिक हूं,
माध्यम हूं
औरों के गंतव्यों का।
दुख नहीं कुछ किया नहीं, कुछ बना नहीं,
बोए जो शब्द हैं प्रस्फुटित होंगे,
सुनहले हर्फ चमकेंगे किताबों में,
मैं प्रहरी हूं मेरे काव्यों का।

Language: Hindi
157 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
4096.💐 *पूर्णिका* 💐
4096.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वर्षों जहां में रहकर
वर्षों जहां में रहकर
पूर्वार्थ
रक्त लिप्त कुर्बानियां,
रक्त लिप्त कुर्बानियां,
sushil sarna
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
मैं सुर हूॅ॑ किसी गीत का पर साज तुम्ही हो
VINOD CHAUHAN
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
यदि हम कोई भी कार्य खुशी पूर्वक करते हैं फिर हमें परिणाम का
Ravikesh Jha
😢
😢
*प्रणय*
शिक्षक की भूमिका
शिक्षक की भूमिका
Shashi kala vyas
वतन के लिए
वतन के लिए
नूरफातिमा खातून नूरी
"खरगोश"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
Ajit Kumar "Karn"
द्वारिका गमन
द्वारिका गमन
Rekha Drolia
नशा नाश करके रहे
नशा नाश करके रहे
विनोद सिल्ला
हमारा गुनाह सिर्फ यही है
हमारा गुनाह सिर्फ यही है
gurudeenverma198
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
सबसे बड़ा सवाल मुँहवे ताकत रहे
आकाश महेशपुरी
भाव गणित
भाव गणित
Shyam Sundar Subramanian
गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
गंगा सेवा के दस दिवस (प्रथम दिवस)
Kaushal Kishor Bhatt
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कोई मरहम
कोई मरहम
Dr fauzia Naseem shad
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
Manoj Mahato
एक मन
एक मन
Dr.Priya Soni Khare
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
कवि दीपक बवेजा
हर रोज़ मेरे ख़्यालों में एक तू ही तू है,
हर रोज़ मेरे ख़्यालों में एक तू ही तू है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
चाकरी (मैथिली हाइकु)
चाकरी (मैथिली हाइकु)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
क्यो नकाब लगाती हो
क्यो नकाब लगाती हो
भरत कुमार सोलंकी
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
हर चढ़ते सूरज की शाम है,
Lakhan Yadav
नव वर्ष हैप्पी वाला
नव वर्ष हैप्पी वाला
Satish Srijan
वक्त
वक्त
Ramswaroop Dinkar
Loading...