Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2021 · 4 min read

मंज़र

मंज़र (एक सच्ची घटना)
अवश्य ही पढ़ें

वो खामोशी से खड़ा उस मंजर को ताकता रह गया………………….!!!

जो बेहोश पड़ा सड़क किनारे दर्द से कराह रहा था….शायद इस लिए क्योंकि वो उसका कोई अपना नहीं था एकाएक मेरी नज़र दुर शहर की तरफ जाती एक सरकारी रोडवेज बस पर पड़ी, मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि पीड़ीत उसी बस की चपेट में आया था जब मेने यह सब देखा था तो में सड़क किनारे की तलहटी से ऊपर चढ़ा ही था,
और जब मैंने पीड़ित की ओर देखा वो जख्मी हालत में खुन से लथपथ दर्द से कराह रहा था उसे गहरी चोटें आई थी, वह 50-55 की उम्र का सावला गोरा, लंबी काठी का व्यक्ति था
मैं लगभग उससे 60-65 मीटर की दूरी पर खड़ा रहा होऊंगा जब मे सड़क के किनारे पर चढ़ा था, जब तक मैं पीड़ित के पास पहुंचता, सड़क पर दोनों ओर से वाहन आ ओर जा रहे थे ओर कुछ वाहन चालक तो अपने सफर मे इतने व्यस्त थे कि पीड़ित पर उनकी नजर भी नहीं पड़ी और कुछ वाहन चालक वाहन को धीमा कर उसे इसी हाल में देखकर अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ गए, तब तक मैं दोड़कर पीड़ित के पास पहुंच चुका था मेने देखा उसके शरीर से बहुत ज्यादा खून बह रहा था, मंजर देखकर एकाएक मैं समझ नहीं पाया कि मुझे क्या करना चाहिए और फिर क्षण भर बाद मुझे लगा की मुझे उसके सिर पर लगी चोट से बहते हुए खून को रोकने के लिए कुछ करना चाहिए, मैंने अपने गले से अपना तोलिया निकाला जो कभी-कभी मैं अपने गले में लपेट कर रखता हूं उसके सिर पर तोलिया लपेटते हुए मैंने उस व्यक्ति की और देखा जो एक जगह पर खड़ा यह सब देख रहा था और फिर मैंने नीचे देखते हुए तोलिय की गांठ मार दी, ओर पीड़ित को देखते हुए मैंने पीड़ित से पूछना चाहा कि अंकल आपका गांव कौनसा है लेकिन मैं पूछते पूछते ही रुक गया…क्योंकि उनकी हालत जवाब देने जैसी तो बिल्कुल भी नहीं थी

तभी अचानक से एक बाइक सवार ने बाइक को रोकते हुए उसने मेरी तरफ देखते हुए मुझसे पुछा… एम्बुलेंस वालो को फोन किया???
उसने पुछा ही था कि मेरे मुंह से निकल पड़ा.. नहीं,मेने नहीं किया..ओर यह कहते हुए मेरी नज़र एक बार फिर उसी व्यक्ति पर पड़ी जो बहुत देर से वहीं का वहीं (घटना स्थल से कुछ ही दुर) खड़ा यह सब कुछ देख रहा था…

फिर मैंने ओर उस व्यक्ति(बाइक सवार) की मदद से एम्बुलेंस कर्मियों को फोन कर घटना की सूचना दी ओर घटना स्थल की जगह के बारे में बताया….
उन्होंने (एम्बुलेंस कर्मियों ने) कहा हम आ रहे हैं

थोड़ी ही देर में वहां काफी लोगों का हुजूम इकठ्ठा हो चुका था, ज्यादातर वाहन चालक ओर वाहनों में सवार लोग थे ओर बाद में आये लोग वो लोग थे जो सड़क के आस पास के खेतों मे काम कर रहे थे
जो सड़क पर खड़ी भीड़ को देखकर किसी आशंकित दुर्घटना को समझकर आये होंगे

उनमें से कुछ लोग ने मदद की कोशिश की ओर ओर कुछ चुपचाप देखते रहे उनमें से कुछ लोग पीड़ित को देखकर वापिस लोट गए ओर कुछ आगे बढ़ गए,

कुछ ही देर में एम्बुलेंस कर्मि आ गये ओर पीड़ित को को अस्पताल लेकर जब निकलें तो फिर एकबार मेने उस तरफ़ देखना चाहा….जहां खड़ा वो व्यक्ति सबकुछ देख रहा था ओर जब मेंने उस तरफ़ देखा तो वो व्यक्ति वहां नहीं था आसपास देखने पर भी वो मुझे कहीं नजर नहीं आया… शायद वह व्यक्ति अब वहां से जा चुका था…

शायद जिस बस से यह दुर्घटना हुई उस बस चालक को अवश्य ही इस घटना का बोध नहीं हुआ.. अगर चालक को घटना बोध हुआ होता तो वह चालक बस रोककर परिचालक के साथ पीड़ित की मदद के लिए जरुर आगे आता…

खेर आज उस वाकए को साल भर से ज्यादा हो गया पर अब भी कभी जब मे उस घटना को याद करता हूं तो मुझे सबसे पहले वह व्यक्ति याद आता है ओर सच कहूं तो मित्रो वह व्यक्ति मुझे बहुत अखरता है मुझे नहीं पता कि व्यक्ति कौन था पर आज मैं उसे कोसता हूं मुझे नहीं पता कि वह व्यक्ति क्यों? सिर्फ मुक बाधीर बनकर वह सब देखता रहा..

पर जब सोचता हूं तो लगता है कि उसे मदद के लिए आगे आना चाहिए था…

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना में शिकार हुए लोगों को अगर समय रहते मदद मिले तो 55 फीसदी लोगों की जान बचाई जा सकती है जहां तक मेरा मानना है हमें मदद के लिए आगे आना चाहिए और किसी के परिवार के दीपक को बुझने से बचाना चाहिए।

यह एक सच्ची घटना है जिसे शब्दों के माध्यम से मैंने आपके सामने प्रदर्शित किया है इस घटना को आपके सामने रखने का मेरा उद्देश्य मेरी किसी महानता को चिन्हित करना नहीं है बल्कि मेरा उद्देश्य आपको किसी की नजर में खटकने से बचाने के लिए है।

वह खामोशी से उस मंजर को ताकता रह गया शायद इसलिए क्योंकि जो दुर्घटना का शिकार हुआ वह की व्यक्ति उसका कोई अपना नहीं था….

end
दिलराज पातलवास
9468505064

Language: Hindi
1 Like · 231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बच्चे "
Slok maurya "umang"
कहता है सिपाही
कहता है सिपाही
Vandna thakur
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
Neeraj Agarwal
भरोसा खुद पर
भरोसा खुद पर
Mukesh Kumar Sonkar
आपका बुरा वक्त
आपका बुरा वक्त
Paras Nath Jha
3351.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3351.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
'क्या कहता है दिल'
'क्या कहता है दिल'
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
एक श्वान की व्यथा
एक श्वान की व्यथा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
इन रावणों को कौन मारेगा?
इन रावणों को कौन मारेगा?
कवि रमेशराज
धरती करें पुकार
धरती करें पुकार
नूरफातिमा खातून नूरी
इश्क वो गुनाह है
इश्क वो गुनाह है
Surinder blackpen
जब तक नहीं है पास,
जब तक नहीं है पास,
Satish Srijan
गज़ल सी कविता
गज़ल सी कविता
Kanchan Khanna
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
😊■रोज़गार■😊
😊■रोज़गार■😊
*Author प्रणय प्रभात*
युक्रेन और रूस ; संगीत
युक्रेन और रूस ; संगीत
कवि अनिल कुमार पँचोली
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"बेहतर है चुप रहें"
Dr. Kishan tandon kranti
*नज़ाकत या उल्फत*
*नज़ाकत या उल्फत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कविता
कविता
Shiva Awasthi
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
बंद करो अब दिवसीय काम।
बंद करो अब दिवसीय काम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो खूबसूरत है
वो खूबसूरत है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
Taj Mohammad
सुनी चेतना की नहीं,
सुनी चेतना की नहीं,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते ह
कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते ह
पूर्वार्थ
*कोरोना- काल में शादियाँ( छह दोहे )*
*कोरोना- काल में शादियाँ( छह दोहे )*
Ravi Prakash
आंखों में शर्म की
आंखों में शर्म की
Dr fauzia Naseem shad
न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम से,
न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम से,
Vishal babu (vishu)
Loading...