मंच पर जम जाईए
एक छंद कहे या कि, पोथी लिखे पढ़ें या कि
कैसे भी हो बस मंच, पर जम जाईए
आदि से अब तक, अब से अंत तक
रोस्टिंग के नाम पर, सबको गरियाईए
निज व्यूस आते रहे, गाली गुत्था गाते रहे,
क्रिएटिविटी की आप, तो लंका लगाइए
घंटा नहीं पूछे कोई, बस तम्मा तम्मा होई
माईक पकड़ कर, भोंपू बन जाईए
सदानन्द कुमार
समस्तीपुर बिहार
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