*”मंगल बेला”*
“मंगल बेला”
घर आँगन वंदनवार से सजे ,शुभ मुहूर्त मंगल बेला आई।
रिश्तों से महकता परिवार के साथ, मिलने की सुखद घड़ी ये आई।
मंगल बेला शुभ घड़ी आई
हरे बांस मंडप सजे द्वार पर, ढोलक मंजीरे मंगल गीत गाये बधाई।
सोलह संस्कारो संस्कृति के साथ ,रीति रिवाजों की पद्धति है अपनाई।
मंगल बेला शुभ घड़ी आई
रिश्तेदारों में टोलियाँ ,नाना नानी बुआ मौसी ताई संग शादी में चली आई।
हाथों में मेहंदी सजाते ,हल्दी चंदन उबटन बदन पर लगाई।
मंगल बेला शुभ घड़ी आई
भाभी करती हंसी मजाक उड़ाते हुए ,नेग लेती बुआ नजर उतारती चली आई।
विवाह उत्सवों में धूम मचा हुआ,झूमते गाते युवा पीढ़ी भी मिलकर आनंद लुटाई।
मंगल बेला शुभ घड़ी आई
नाना नानी ,मामा मामी, भात कपड़े ओढाये, न्योछावर कर आई।
दूल्हा बना जब बेटा बारात निकाली, माँ मंद मंद मुस्काई।
मंगल बेला शुभ घड़ी आई
बारात संग चले बराती नाचते गाते दूल्हे को देख माँ मन में हर्षाई।
शुभ विवाह उत्सव मंगल बेला ज्योति कलश जलाई।
मंगल बेला शुभ घड़ी आई
वर वधु परिणय सूत्र में बंधकर ,नव जीवन हर्षोउल्लास मनाये।
पाणिग्रहण संस्कार रीति रिवाजों से ,मधुर मिलन दुल्हन बहू बन घर आई।
सात फेरों सात वचन निभाते हुए, शुभ कदमों से पग पग अगुवाई।
मंगल बेला शुभ घड़ी शुभकामनाएं देते हुए खुशियां मनाई
शशिकला व्यास✍️