मंगल बंधन
बज रहे ढोल नगाड़े
शहनाई की गूंज है
नए अरमानों का
हो रहा उदभव आज।।
उगेगा वो सूरज फिर
लेकर आएगा वो
नया सवेरा नई उमंग
नया जीवन आज।।
हो रही तैयारियां
सज रही दुल्हन
सेहरा बांध रहा
दूल्हा भी आज।।
है चंद आंखें नम
चंद आंखों में उम्मीद
हो रहा है जो ये परिवारों
का गठबंधन आज।।
हो गए इकट्ठे सारे अपने
आशीर्वाद देने उनको
सच हो रहे है सपने
जिनके मां बाप के आज।।
बंध रहा बंधन आज
सात वचनों से उनका
मंगलसूत्र की गांठ से
जुड़ रहा रिश्ता आज।।
है बेखबर इस सबसे
अपनी ही धुन में
नाच रहे है मस्ती में
वो बाराती भी आज।।